Skip to main content
emblem राष्ट्रीय प्रतिरक्षाविज्ञान संस्थानNational Institute of Immunology

An Autonomous Institute of Dept. of Biotechnology, Ministry of Science and Technology, Govt. of India

संगठन

एनआईआई के बारे में

राष्ट्रीय प्रतिरक्षाविज्ञान संस्थान ( राप्रसं. ) रोग प्रक्रियाओं से प्रतिरक्षा प्रणाली में पैदा होने वाली गड़बडी़ से विकसित होने वाले तौर तरीकों से शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को समझने की दृष्टि से उन्नत अनुसंधान के लिए प्रतिबद्ध है| संस्थान में प्रतिरक्षा के अंतर्गत अनुसंधान और उससे संबंधित संक्रमण और प्रतिरक्षा, आणविक डिजायन, जीन विनियमन और प्रजनन एवं विकास, जैसे चार अनुसंधान के प्रमुख विषय क्षेत्र हैं, जहाँ आधुनिक जीवविज्ञान में जैविक जीव विज्ञान, आणविक जीव विज्ञान, कोशिका जीव विज्ञान और संरचनात्मक जीव विज्ञान के कई अतिव्यापी विषयों को रोजगार से बाहर करने के लिए अत्याधुनिक अनुसंधान चल रहा है|

उपरोक्त विषयों के अन्तर्गत रूचि के क्षेत्रों में मूल जीव विज्ञान के टी और बी लिम्फोसाइट, संक्रमण और रोग की पुष्टि के लिए, रोगजनकों की किस्म द्वारा रणनीतियों से संक्रामक रोगज़नक़ों और उसके लक्षणों को बताने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली का उपयोग कर तंत्र की व्याख्या शामिल है| अनुसंधान का एक अन्य क्षेत्र जिसमें शरीर तथा उसके रक्षा तंत्र के प्रजनन और विकास को नियंत्रित कर उसके विकास और एपिजेनेटिक को प्रभावित करने वाली प्रक्रियाओं का विश्लेषण शामिल है|

राष्ट्रीय प्रतिरक्षाविज्ञान संस्थान में अभिरूचि के क्षेत्र में टीके और नशीली दवाओं के विकास में शोध भी शामिल हैं| शोध सार्वजनिक स्वास्थ्य के महत्व के रोगजनकों के प्रति श्रेष्ठ इम्म्युनोजेन्स, कैंसर रोधी एजेंटों और चिकित्सकीय इनहेबीटरों की डिजायन पर ध्यान केंद्रित किया है|

संस्थान ने मानव रोग जीव विज्ञान में एकीकृत अनुसंधान शुरू करने की योजना बनाई है जहाँ वास्ताविक संवेदनशीलता और रोग प्रसार के जटिल प्रश्नों के सिस्टम दृष्टिकोण का उपयोग कर समाधान निकालने का इरादा है। इन शोध प्रयासों से स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में उपयोग कर नए भविष्य की रूपरेखा के एक स्थाई स्रोत के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बौद्धिक ज्ञान का आधार बनेगा ।

राष्ट्रीय प्रतिरक्षाविज्ञान संस्थान जानता है कि इन जटिल और प्रतिस्पर्धी क्षेत्रों में किसी भी सफलता के लिए संस्थागत प्रयासों और कालेज संबंधी अंतर – विषयक सहयोग की आवश्यकता होगी । राष्ट्रीय प्रतिरक्षाविज्ञान संस्थान ने अनुसंधान संबंधी गतिविधियों के बीच तालमेल कायम करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों और वैज्ञानिक संस्थानों दोनों के साथ सहयोगात्मक कार्यक्रम विकसित किया है । राष्ट्रीय प्रतिरक्षाविज्ञान संस्थान भी प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से संयुक्त अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम और नीति विकास की पहल एक व्यापक इंटरफ़ेस जैव प्रौद्योगिकी उद्योग के साथ सहयोग करता है। राष्ट्रीय प्रतिरक्षाविज्ञान संस्थान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आने वाले पूर्व संस्थागत जैव प्रौद्योगिकी विज्ञान क्ल्स्टर के माध्य्म से इस दिशा में एक समन्वित विकास में एक संस्थापक भागीदार है।

संस्थान में देश की कुशल जनशक्ति पूल में अंत:विषय दृष्टिकोण का उपयोग कर उन्न्त उच्चतम स्तर की क्षमता विकसित करने के लिए जैविक विज्ञान में अत्याधुनिक शिक्षण और प्रशिक्षण सुविधाएं सुलभ है। व्यावसायिक पत्रिकाओं एवं संगोष्ठियों के माध्यम से वैज्ञानिक ज्ञान के प्रसार के मानक तौर तरीकों के अलावा राष्ट्रीय प्रतिरक्षाविज्ञान संस्थान, बड़े पैमाने पर वैज्ञानिक समुदाय के लिए सामयिक वैज्ञानिक विषयों पर नियमित रूप से सार्वजनिक व्याख्यानों का आयोजन करता है।